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Homesceinceरक्षा विज्ञान और तकनीकी: बंदूक के निर्माता घटक

रक्षा विज्ञान और तकनीकी: बंदूक के निर्माता घटक

https://youtu.be/zR3nPY5ukbA

बंदूक (Gun) केवल एक नली (Barrel) का नाम नहीं है, बल्कि इसमें कई प्रणालियां (Systems) होती है। नली के व्यास (Diameter) और लम्बाई (Length) से बंदूक का नामकरण हो सकता है, पर अन्य निर्माता घटकों (Components) का भी बहुत योगदान बंदूक के सुचारू रूप से गोली दागने के लिए होता है। प्रस्तुत आलेख नली को छोड़कर बंदूक के कुछ अभिन्न (Essential) भागों के बारे में जानकारी देता है।

ब्रीच पर लगा बोल्ट (Breach at Bolt)

बंदूक से गोली दागने (Firing) में सबसे बड़ा योगदान दहन (Combustion) से प्राप्त गैस का होता है, जिनका नली के पीछे से रिसाव (Leakage) रोकना बोल्ट (Bolt) का मुख्य कार्य होता है। यह बंदूक की नली के पिछले सिरे पर मजबूत जोड़ (Strong Joint) के साथ लगा रहता है, जिससे ये आसानी से बाहर न निकले, उच्च दाब बर्दाश्त (Sustain) कर ले और गैस को पीछे से नहीं निकलने दे। वास्तव में गैस का रिसाव रोकने के लिए गोली के कारतूस का खोल (Cartridge-case) ही काफी होता है। गोली चलाने पर उच्च दाब (High Pressure) से खोल (Cartridge Case) फ़ैल जाता है और नली को बंद कर देता है। अगर कुछ जगह बच जाती है तो बोल्ट रिसाव को रोकता है। कई बंदूकों में गोली ब्रीच सिरे से भरी जाती है, तो बोल्ट को खुलने वाला बनाना पड़ता है। बोल्ट तीन तरह से खुल सकते है। पहली व्यवस्था में नली के समानांतर (Parallel to Barrel) आगे पीछे जाकर ये गोली भरने के लिए जगह देते है। कम दाब पर काम करने वाले छोटे बंदूकों में कमानी (Spring) द्वारा इसे अंजाम दिया जाता है। दूसरी व्यवस्था में नली के अक्ष (Axis) पर घूम कर (Rotation) गोली का खोल निकालना और नई गोली भरने (Filling new bullet) की जरुरत होती है। तीसरी व्यवस्था में नली के अक्ष के लम्बवत बोल्ट घूम कर गोली भरने की जरूरत पूरी करता है। वास्तव में गोली के चलाने से जो प्रतिक्रिया (Recoil) उत्पन्न होती है, उससे गोली के खोल निकालने वाली एक युक्ति (System) लगी रहती है, जो बोल्ट के अभिकल्पन (Design) को ज्यादा जटिल बनाती है।

गोली दागने वाली प्रणाली (Firing System)


एक एक कर गोली (Single Shot) दागने वाली बंदूक में घोड़ा (Trigger) दबाने पर कारतूस (cartridge) के संवेदनशील (Sensitive) रसायन भरे आरंभक (Initiator) भाग पर आघात (Impact) होता है, जिससे रसायन में आग लग जाती है और मूल ईंधन (Main Fuel) में दहन प्रारम्भ हो जाता है। इससे उत्पन्न गैस गोली के पीछे उच्च दाब उत्पन्न करती है। इस दाब से बंदूक की गोली तेजी से बाहर निकलती है। ऐसे तो ये प्रक्रिया (Process) लम्बी लगाती है पर ये पूरी घटना मिलीसेकेंड (milliseconds) में समाप्त हो जाती है और ऐसा लगता है कि घोड़ा दबाते ही गोली बाहर निकल गई। आघात करने वाले भाग को हथौड़ा (Hammer or Striker) कह सकते है। इस हथौड़े को पुन: आघात करने के तैयार (Ready for Impact again) करना बंदूकची की बंदूक की नली को आगे पीछे करके या घुमाने पर संपन्न होता है। इसकी जगह अगर स्वचालित बंदूक (Automatic Gun) होती है, तो हथौड़े का पुन: आघात करने के लिए तैयार होना स्वत: (Self-ready) होता है। खाली कारतूस निकालना (Discard empty shell) और नई गोली भरना स्वत: होता है। अगर लड़ाकू विमान पर बंदूक लगी है, तो उसमें गोली दागने के लिए विद्युत् ऊर्जा (Electrical Energy) का उपयोग किया जाता है। गोली दागने के लिए स्थिर नुकीली कील (Stable striker) का उपयोग मशीन कारबाईन में किया जाता है। यह एक सरल प्रणाली है पर इसमें गोली अगर बंदूक की नली में ठीक से नहीं लगी है तब भी आघात संभव है। इस कील की जगह हथौड़े का प्रयोग भी हो सकता है। हथौड़े के मध्य में कील इस तरह लगाई जाती है कि हथौड़े के घूर्णन से कील आगे बढाकर आघात करे। एक दूसरी व्यवस्था में हथौड़े के केंद्र में नुकीला भाग बाहर निकला रहता है।

बंदूक का घोड़ा (Trigger)

बंदूकची के पास केवल घोड़ा होता है, जिसको दबाने पर कारतूस में ईंधन जलता है। घोड़े के भी कई प्रकार हो सकते है। इसका मुख्य कार्य गोली दागने में विराम (Interruption) लगाना होता है, जिससे एक गोली चलाने के बाद अगली गोली चलाने में कुछ श्रम करना पड़े। यह प्रणाली एक अवरोधक प्रणाली (Resistance System) है, जो गोली के नली में ठीक से बैठने के बाद ही घोड़ा को दबाने की छूट देती है। यह सुरक्षा की दृष्टि से भी आवश्यक है। अगर गोली ठीक से नहीं बैठी तो घोड़ा दबाने के बाद गोली नली में फंस सकती है या नली में विस्फोट हो सकता है। गोली चलाने को जरूरत पड़ने पर नियंत्रित करना ही इस व्यवस्था का मूल मन्त्र है। इसे ट्रिगर कहते है, जिससे बंदूक को एक गोली और बहुत गोली चलाने के लिए एक लीवर की मदद से बदला जा सकता है। एक गोली वाली प्रणाली में गोली निकलते ही नुकीली कील को अगला आघात करने से रोकना होता है। घोड़ा दबाने के बाद भी गोली न चले, इसके लिए एक कमानी और एक अलगाव करने वाली प्रणाली लगाई जाती है। जब जरूरत हो तभी घोड़ा दबाने पर बंदूक चलानी चाहिए।

कारतूस भरण प्रणाली (Bullet Filling System)

कारतूस भरण प्रणाली में कारतूस को एक निश्चित ढंग से संग्रहित (Store) करने या लगाने की व्यवस्था रहती है। यह एक साथ बहुत गोली चलाने के लिए एक आवश्यकता है। इसकी कई किस्में उपलब्ध है। एक घूमने वाली (revolving) कारतूस संग्रह प्रणाली रिवाल्वर में होती है। इसमें घोड़ा दबाने पर गोली चलने के साथ साथ अगली गोली नुकीले कील के सामने खुद ब खुद आ जाती है। पिस्टल में कमानी (Speing) लगी एक के ऊपर एक लगी (Stacked Bullets) गोलियां रहती है, जो अगली गोली को ऊपर धकेल कर काम करती है। इसी तरह राइफल में एक बेल्ट या पट्टे में गोलियां लगी रहती है। इस तरह संग्रह के आधार पर कारतूस मैगेजीन (Magazine) के कई प्रकार हो सकते है, जिनसे बंदूक की अन्य प्रणालियां भी प्रभावित होती है।

उपसंहार
इस तरह बंदूक केवल नली का ही नाम नहीं है, इसमें से सही सलामत गोली निकालने के लिए कई प्रकार की प्रणालियां लगती है। इन प्रणालियों का अभिकल्पन (Design), निर्माण (Manufacturing) और समायोजन (Assembly) कई प्रकार की बंदूकों के प्रारूप निर्माण में मदद करती है। कुल मिलाकर कुछ प्रयोग की आवश्यकता होती है, कुछ सुरक्षा की आवश्यकता होती है, कुछ भरोसे की आवश्यकता होती है। घोड़ा, कमानी, मैगेजीन, कारतूस, ट्रिगर आदि सभी मिलकर बंदूक को एक आकर्षक हथियार बनाते है।
धन्यवाद।

लेखक परिचय

डॉ हिमांशु शेखर एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं, एक अभियंता हैं, प्राक्षेपिकी एवं संरचनात्मक दृढ़ता के विशेषज्ञ हैं, प्रारूपण और संरूपण के अच्छे जानकार हैं, युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित हैं, गणित में गहरी अभिरुचि रखते हैं, ज्ञान वितरण में रूचि रखते हैं, एक प्रख्यात हिंदी प्रेमी हैं, हिंदी में 13 पुस्तकों के लेखक हैं, एक ई – पत्रिका का संपादन भी कर रहे हैं, राजभाषा पुस्तक पुरस्कार से सम्मानित हैं, हिंदी में कविताएं और तकनीकी लेखन भी करते हैं, रक्षा अनुसंधान में रूचि रखते हैं, IIT कानपुर और MIT मुजफ्फरपुर के विद्यार्थी रहें हैं, बैडमिन्टन खेलते हैं।

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